नई पुस्तकें >> प्यार में... प्यार में...डॉ. सुषमा गजापुरे
|
0 |
ज़िदगी और प्यार के गीत
‘प्यार में...’ कविता संकलन से गुज़रते हुए....
डॉ सुषमा गजापुरे ‘सुदिव’ के रचना-संसार से पिछले काफ़ी वर्षों से जुड़ा होने के कारण उनसे बहुत प्रभावित रहा हूँ। उनका रचना-संसार और दृष्टि वृहद है। एक स्थापित संपादिका के साथ ही वे एक चिंतनशील कवयित्री, लेखक और जागरूक पत्रकार भी हैं। उनका समग्र चिंतनयुक्त संकलन ‘प्यार में…’ से गुजरते हुए यह समझ पाया हूँ कि उनके प्यार या प्रेम का कैनवास बहुत विशाल है।
हालांकि प्रेम या प्यार जैसे विषय पर बहुत कुछ कहा सुना औरलिखा जा चुका है। ऐसे में सुषमा की रचनाएँ बेशक हमेशा की तरह अलग होगी ऐसा मुझे विश्वास है।
संकलन की सभी कविताएँ किसी एक दायरे में न बंधकर एक बड़े कैनवास की कविताएँ हैं।
यहाँ प्रेम केवल पुरुष-स्त्री का प्रेम न होकर, तमाम पहलुओं को समेटे हुए व्यक्त हुआ है। प्रेम का यह अद्भुत दृष्टिकोण सुषमा की कविता को प्रेम-कविता का एक अलग मुक़ाम देता है।
प्रेम अनन्त है जिसका कोई ओर-छोर नहीं है। एक ऐसा सागर जो इस में समर्पण-भाव से उतर गया हो तो फिर कभी ख़ाली लौटा ही नहीं। सुषमा एक बेहतर चित्रकार हैं इसलिए यही झलक उनके लेखन और कविताओं में स्पष्ट देखी जा सकती है।
मैं अपने अनुभव के आधार पर पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूँ कि सुषमा का ये काव्य-संग्रह ‘प्यार में...’ पाठक के दिल में गहरे तक उतर कर उसे निश्चित प्रभावित भी करेगा और साथ ही साहित्य-लेखन की कई नई संभावनाओं से सबका परिचय भी करवाएगा।
मेरी हार्दिक बधाई एवं अनन्त शुभकामनाएँ !
इंदौर
7869602422
‘प्यार में....’ की रचनाओं का रूहानी पक्ष
समय, समाज, संस्कृति की अंतर्लीन सारस्वत अभिव्यक्ति को आध्यात्मिक (रूहानी) कविता-फ़लक पर रेखांकित-रूपांकित करती हुई शीर्षस्थ कवयित्री, स्थापित एवं जानी-मानी संपादिका, चित्रकारा, समीक्षक, ई-पत्रिका ‘साहित्य सुषमा’ और अक्षर शिल्पी जैसी प्रसिद्ध साहित्यिक पत्रिकाओं की संपादिका डॉ सुषमा गजापुरे ‘सुदिव’ की यह छठी पुस्तक ‘प्यार में...’ सुषमा जी के संवेदनात्मक रचाव की बहुआयामी आधार-सूत्र है। उनकी प्रत्येक पुस्तक पाठकों के समक्ष कुछ अलग प्रस्तुत करने की क्षमता रखती है। अपनी सृजनाकृति में छोटी-छोटी भाव-प्रवण रचनाओं के ऊर्जस्वल प्रतिमान और उपादान ले कर विराट कैनवास पर स्थापित हुए है। खयालात की नर्मीयाँ, मर्मी चिंतन की ख़ामोशियों से उपजी नायाब प्यार की रचनाएँ साहित्य-जगत के वैचारिक-सत्ता में हमेशा की तरह ही सुषमा जी के सशक्त हस्ताक्षर के साथ स्थापित हुई हैं।
प्यार में कुछ भी छुपा नहीं है, सब कुछ साफ पानी की तरह होता है, उसी तरह सुषमा जी की सभी रचनाएँ सहज-सरल प्रवाहित प्रतीत होती हैं। किन्तु इसके पश्चात भी सुषमा जी अपने इस संग्रह में हमेशा की तरह अपनी शालीनता और सहजता को बरकरार रखे हुए हैं।
लेखकीय-साधना जब सृजनाकृति में विस्तार पाती है तो वह पराशक्ति के आसपास होती है। सुषमा जी बहुआयामी प्रतिभा की धनी है फिर भी जमीन से जुड़ी हुई, प्रचार-प्रसार से दूर अपने लेखन, चिंतन-मनन, चित्रकारी, जैसे अनेकों साहित्यिक और अन्य रुचियों में मगन रहती हैं। वे मितभाषी होने के बाद भी जो बोलती हैं, लिखती हैं, गढ़ती हैं और जो बनाती हैं, वह वाक़ई तारीफे-ए-क़ाबिल है। उनके अदबी और व्यावहारिक लहजे में सनातनी आध्यात्म स्पष्ट है जो उनकी रचनाओं में भी स्पष्ट दिखाई देता है।
‘प्यार में...’ यह किताब उनके जीवन के एक अलग पहलू को उजागर करता हुआ एक संग्रह होगा जिसके बारे में वो कम ही बात करती हैं। इस संग्रह में कई खूबसूरत प्रेम में ढली कविताएँ तो हैं ही, साथ में अन्य रचनाएँ भी अभिभूत कर जाती हैं और कुछ तो सोचने के लिए मजबूर भी कर देती हैं। साहित्य-जगत सुषमा जी की इस विशेषता से गौरवान्वित है।
मेरी बहुत सारी आत्मीय शुभकामनाएँ
गोहना मुहम्मदाबाद, उ प्र
9369973494
|